प्रागैतिहासिक काल 2.5 मिलियन वर्ष पहले से 1200 ईसा पूर्व तक, जिसमें पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नव पाषाण काल के बारे में बताया गया हैं!

प्रागैतिहासिक काल, भारत के इतिहास को तीन खंडों में विभाजित किया गया है जिसमें प्रागैतिहासिक काल, आद्य ऐतिहासिक काल और ऐतिहासिक काल आता है। प्रागैतिहासिक काल में पुरातात्त्विक खोजों से जो भी साक्ष्य मिले हैं वे लिखित नहीं हैं और इसीलिए उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता हैं, आद्य ऐतिहासिक काल में जो भी साक्ष्य प्राप्त हुए हैं वे लिखित तो है लेकिन उन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सकते हैं और ऐतिहासिक साक्ष्य जो मिले हैं वे लिखित हैं और उसे पढ़ा जा सकता है।

प्रागैतिहासिक काल के स्थलों का मानचित्र
प्रागैतिहासिक काल के स्थलों का मानचित्र

प्रागैतिहासिक काल में पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नव पाषाण काल सम्मिलित है जिसमें मानव सभ्यता पर कोई लिखित दस्तावेज़ नहीं मिले हैं। सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्रूस फूट ने भारत में चेन्नई के पास पल्लवारम नामक उद्योग स्थल पर सबसे पहले पुरापाषाण पत्थर के उपकरणों को खोजा था इसीलिए इन्हें भारतीय प्रागैतिहासिक काल का जनक भी कहा जाता है। इस काल में कोई भी लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं है हालाँकि ऐसा बताया जाता है कि पुरातात्विक साक्ष्यों उपलब्ध हैं।

Palaeolithic Age

प्रागैतिहासिक काल का विभाजन

प्रागैतिहासिक काल को भारत के इतिहास में तीन काल में बाँटा गया है जिसके बारे में पूरी जानकारी निम्नलिखित हैं:-

Palaeolithic Age
  • पुरापाषाण काल (Palaeolithic Age):- इस काल की समयावधि 5 लाख ईसा पूर्व से 10 हज़ार ईसा पूर्व तक माना जाता हैं जिसमें मानव आखेटक और खाद्य संग्राहक था और इस काल में मानव के जीविका का मुख्य आधार शिकार था। भारत में इस काल के साक्ष्य कर्नाटक, आँध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ से प्राप्त होते हैं। मानो द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थर के औजारों के स्वरूप और जलवायु में होने वाले परिवर्तन के आधार पर तीन अवस्थाओं में बाँटा जाता हैं, जिसमें निम्न पुरापाषाण युग (500000 ई.पू. से 50000 ई.पू.), दूसरी अवस्था मध्य पाषाण युग (50000 ई.पू. से 40000 ई.पू.) और तीसरी अवस्था ऊपरी पुरापाषाण युग (40000 ई.पू. से 10000 ई.पू.) को कहते हैं।
  • मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age):- इस काल की समयावधि 9000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व तक माना जाता हैं, जिसमें मानव आखेटक और पशुपालक था। यह काल पुरापाषाण काल और मध्य पाषाण काल के बीच का संक्रमणकाल है इस काल में लोग शिकार करके मछली पकड़कर और खाद्य वस्तुएँ बटोरकर पेट भरते थे, आगे चलकर वे पशुपालन भी करने लगे। इस युग के विशिष्ट औज़ार है सूक्ष्म पाषाण या पत्थर के बहुत छोटे औज़ार जिन्हें माइक्रोलिथ्स भी कहा। भारत में भी इस काल के साक्ष्य राजस्थान, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, मध्य और पूर्वी भारत में पाये जाते हैं तथा दक्षिण भारत में कृष्णा से नदी के दक्षिण में पाए जाते हैं।
  • नवपाषाण काल (Neolithic Age):- इस काल की समयावधि 7000 ईसा पूर्व से 5500 ईसा पूर्व तक माना जाता हैं, जिसमें मानव खाद्य उत्पादक था। इस युग के लोग पोलिशदार पत्थर के औजारों और हथियारों का प्रयोग करते थे वे ख़ासतौर से पत्थर की कुल्हाड़ीयों का इस्तेमाल किया करते थे ये कुल्हाड़ी देश के पहाड़ी इलाकों के अनेक भागों में विशाल मात्रा में पाई जाती थी। भारत में नवपाषाण काल के साक्ष्य असम, पिकलीहल, ब्रह्मनगरी, कर्नाटक (मास्की, तक्कलकोटा, हल्लूर) से प्राप्त होते हैं।

प्रागैतिहासिक काल से संबंधित अन्य जानकारी के लिए NCERT के कक्षा 11 की प्राचीन भारत की पुस्तक से देखें।

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