सिन्धु घाटी सभ्यता: इतिहास से हमें यह पता चलता है कि दुनिया की चार शुरुआती सभ्यताओं में से सिंधु घाटी सभ्यता एक थी यह सभ्यता नदी किनारे बसी थी और इसके प्रमुख केंद्र में मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा थी। इस सभ्यता को प्रागैतिहासिक युग में रखा जाता हैं और रेडियो कार्बन जैसी तकनीकी से पता चलता है कि यह सभ्यता का समय 2350 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व के बीच था।
सिन्धु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन
सिंधू घाटी सभ्यता में शहर नियोजन बहुत ही व्यवस्थित तरीक़े का देखा गया हैं, जैसे की ग्रिड आधारित शहर नियोजन, पकी हुई ईंटों का प्रयोग, सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी, ग्रेट बाथ, अन्नागार, बहुमंज़िला घर आज भी साक्ष्य प्राप्त हुए हैं और ऐसा माना जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता इतनी शहरी सभ्यता थी जैसे आज के समय में शहरों में उठता दिखते हैं उसी प्रकार से सिंधु घाटी सभ्यता में भी सब कुछ बहुत ही व्यवस्थित था।
सिन्धु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था
- कृषि मुख्य व्यवसाय था।
- नदी के किनारे कृषि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- जल वायु आधारित कृषि होती थी नवंबर में बुवाई और अप्रैल में कटाई
- मुख्य फ़सल जौ, गेहूँ, बाजरा, चावल, कपास होता था।
- बनावली में प्राप्त खिलौने में लकड़ी का हल प्राप्त हुआ है जिससे यह पता चलता है कि तकनीकी रूप से हल का प्रयोग करते थे।
- कालीबंगा से जुता हुआ खेत प्राप्त हुआ है जिससे यह पता चलता है कि 2 फसलों की खेती होती होगी।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार के साक्ष्य से पता चलता है कि उत्पादन अधिशेष भी होता था जिसके लिए लोग अन्नागार का प्रयोग करते थे।
- सिंचाई के लिए नहर का प्रयोग नहीं होता था नदी और नालें, छोटे बाँध, कुएँ, तालाब के द्वारा लोग सिंचाई किया करते थे।
- सर्वप्रथम कपास का उत्पादन सिन्धु घाटी सभ्यता के क्षेत्र से ही प्राप्त हुआ है।
सिन्धु घाटी सभ्यता धर्म
- सिंधू घाटी सभ्यता के लोगों में धर्मो के बारे में कोई साक्ष्य नहीं प्राप्त होता हैं।
- ये लोग प्रकृति की पूजा किया करते थे क्योंकि मोहरों पर जानवर, पेड़ पौधे, मातृ देवी की मूर्ति बनी हुई हैं।
- इस काल से कोई भी मंदिर का साक्ष्य नहीं मिला हैं।
- इस काल में लोग आद्य शिव की पूजा किया करते थे क्योंकि मोहरों से प्राप्त साक्ष्यों पर कूबड़ वाला साड़ और पशुपतिनाथ की मूर्ति बनी हुई हैं
- यहाँ के लोग अंधविश्वास, भूत प्रेत को मानते थे क्योंकि यहाँ से ताबीज़ का साक्ष्य भी प्राप्त हुआ हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता समाज
- ये समतामूलक समाज था यानी की सभी को एक समान माने जाते थे।
- मातृ सत्तात्मक समाज था क्योंकि यहाँ से उर्वरा देवी की मूर्ति मिली है जिससे यह पता चलता है कि लोग देवी की पूजा करते थे।
- इस काल में वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था नहीं थी बल्कि इस समाज में लोगन दो वर्गों में विभाजित थे जिन्हें उच्च वर्ग और सामान्य वर्ग के नाम से जाना जाता था।
- अंतिम संस्कार के भी साक्ष्य मिले हैं जिसमें लोगों के शव को दफनाया जाता और शवों के साथ वस्तुओं को भी दफ़नाया जाता था और लोगों में अंधविश्वास भी था।
- इस काल में लोग बुने हुए के कपड़ों का प्रयोग करते थे।
- प्राप्त मानकों के साक्ष्य से ऐसा पता चलता है कि इस काल के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही भोजन करते थे।
- गहनों का इस्तेमाल महिलाओं के साथ ही साथ पुरुष भी किया करते थे।
- अन्य साक्ष्यों से पता चलता है कि इस काल के लोग मनोरंजन के साधन के रूप में शिकार करते थे और मोहनजोदड़ो से प्राप्त नर्तकी की मूर्ति से ये पता चलता है कि लोग नृत्य के द्वारा भी मनोरंजन किया करते थे।
सिन्धु घाटी सभ्यता कला
- इस काल में मुहरें नरम पत्थर की बनी होती थी जिन पर जानवर के चित्र और कुछ सामान्य प्रतिक निर्मित होते थे, जिनका प्रयोग पहचान और पत्राचार के लिए होता था, मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक सील पर पशुपतिनाथ की मूर्ति बनी है जिनके चारों ओर हाथी, बाघ, भैंस, गेंडा के चित्र बने हुए हैं।
- इस काल में मिट्टी के बर्तन का साक्ष्य मिले हैं, जिन पर लाल रंग और काले रंग के द्वारा चित्र बने होते थे और इस काल में चक्के का भी साक्ष्य मिले हैं।
- मिट्टी के खिलौने जिन्हें टेराकोटा कहते हैं के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
- आभूषण व मनके चाँदी, स्वर्ण, मोती, काँसा।
- बर्तन मूर्ति आभूषण आदि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता लिपि
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग ब्राह्मी लिपि का अनुसरण करते थे कुछ विद्वानों का मानना है कि इसे लिपि दाएँ से बाएँ की ओर लिखी जाती थी और लिपि से जुड़ी भाषा के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है अर्थात केवल चित्रात्मक साक्ष्य ही प्राप्त हुए हैं जो कि सेलखड़ी पत्थर पर चित्रित हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन का कारण
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के विषय में विद्वानों में मतभेद पाया जाता है अर्थात् इस सभ्यता के पतन के विषय में कोई भी निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है हालाँकि ‘मार्टिमर व्हीलर का मानना है कि इस सभ्यता का पतन आर्यों के आक्रमण’ के कारण हुआ है क्योंकी हड़प्पा से सामूहिक शव के साक्ष्य मिले हैं और मोहनजोदड़ो से हिंसा की जानकारी मिली हैं। इसी प्रकार ‘वॉल्टर फेयरसर्विस का मानना है कि पारिस्थितिकी असंतुलन के कारण इस सभ्यता का पतन ‘ हो गया था इसी प्रकार अन्य भी कई सारे विद्वानों के विभिन्न मत प्राप्त होते हैं।
IIT खड़कपुर की रिपोर्ट में सिंधू घाटी सभ्यता के पतन से संबंधित जानकारी प्राप्त होती है और रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सभ्यता के पतन होने का कारण बाढ़ और अत्यधिक वर्षा का जल है जिसके कारण लोग इस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान के लिए पलायन कर गए। इससे सम्बंधित अन्य जानकारी के लिए NCERT को देखें।
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