भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन: 15वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के मध्य यूरोप में अप्रत्याशित आर्थिक बदलाव हुए थे, इस कालक्रम में कृषि एवं विनिर्माण के क्षेत्र में अपनायी गई प्रौद्योगिकी के आधार पर व्यापार एवं वाणिज्य में तेज़ी से वृद्धि देखी गई। ये बदलाव यूरोप में तब देखी गई जब वह यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियाँ नए-नए विकल्पों की खोज में निकली थी, हालाँकि यूरोपीय देशों के साथ भारत के व्यापारिक सम्बन्ध पहले से ही रहे हैं, विशेषकर ग्रीस तथा रोम के साथ।
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन के क्रम में देखा जाए तो सबसे पहले भारत में पुर्तगाली कम्पनी ने प्रवेश किया था जिसके द्वारा पुर्तगालियों को भारत के साथ व्यापार करने का अवसर प्राप्त हुए और उन्हें बहुत लाभ हुआ और वे अधिक मुनाफ़ा करने के लिए भारत के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित कर लिए। इससे संबंधित विस्तृत जानकारी नीचे दी गई है जो कि UPSC परीक्षा में और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सहायक हैं।
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन के क्रम
कम्पनी का नाम | भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन के क्रम |
पुर्तगाल | 1498 |
अंग्रेज़/ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1600 |
डच | 1602 |
डेनिश | 1616 |
फ़्रान्सीसी | 1664 |
स्वीडिश | 1731 |
पुर्तगाली (Portuguese)
पुर्तगाली (Portuguese) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित हैं:-
- भारत में आने वाले यूरोपीय व्यापारियों में पुर्तगाली पहले थे।
- सर्व प्रथम वास्कोडिगामा ने 1498 में भारत के कालीकट तट तक की यात्रा कि जहाँ उसका स्वागत जमोरिन के द्वारा किया गया था।
- वास्कोडिगामा को भारत से मसाले ले जाकर व्यापार करने लगा है जिससे उसे 60 गुना अधिक फ़ायदा हुआ जिसके बाद उसने भारत के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए।
- पुर्तगालियों ने भारत में पहला दुर्ग कोचीन में 1503 में स्थापित किया और दूसरा दुर्ग 1505 में स्थापित किए।
- प्रथम पुर्तगाली गवर्नर फ़्रांसीस डी अल्मोड़ा ने नीले पानी की नीति अपनायी जिसका उद्देश्य हिन्द महासागर से होने वाले व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करना था और फ़्रांसीस डी अल्मोडा को 1505 में भारतीय क्षेत्र का गवर्नर बनाया गया, इसने गुजरात और मिस्र के संयुक्त बेड़े को में पराजित कर दिया और मलाया द्वीप में इस मुलक्का पर पुर्तगालियों का अधिकार 1511 में हो गया गया।
- पुर्तगालियों ने गोवा को अपने भारतीय राज्य की राजधानी 1503 में बना ली।
- 1535 में पुर्तगालियों ने दीव पर भी अधिकार कर लिया और 1559 में दमन पर अधिकार कर लिया।
- 1663 में मालाबार के सभी दुर्गो को डचो ने जीतकर पुर्तगालियों को भारत से बाहर कर दिया।
डच (Dutch)
डच (Dutch) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित हैं:-
- पुर्तगालियों के पश्चात भारत में डचों का आगमन हुआ।
- 1581 मे डचों पर से स्पेन का प्रभाव समाप्त होने के पश्चात, डचों ने अपनी परिस्थितियों के अनुरूप अपनी वाणिज्यवादी नीति का प्रतिपादन किया और उसका प्रसार किया।
- डच प्राथमिक रूप से इंडोनेशिया में केंद्रित थे तथा मसालों के व्यापार से जुड़े थे।
- भारत के साथ इनका संपर्क बना तब इन्होंने व्यापार में सूती वस्त्र के व्यापार को भी शामिल कर लिया और अत्यधिक लाभ कमाए।
- भारत में डचों की पहली फ़ैक्ट्री पूर्वी तट पर मसूलीपट्टनम में स्थापित हुई इन्होंने पुलिकट को अपने मुख्यालय बनाया है परंतु आगे चलकर नागपट्टिनम को मुख्यालय बना लिया।
- डचों की अधिकतर कम्पनी पूर्वी तट पर थी क्योंकि ये इंडोनेशिया से जुड़े थे।
- बेदरा की लड़ाई में अंग्रेजों ने इन्हें पराजित कर दिया तत्पश्चात् ये सिर्फ़ एक व्यापारिक समूह बन कर रहे थे।
ब्रिटिश (British)
ब्रिटिश (British) से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित हैं:-
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1600 में एक निजी कंपनी के रूप में हुई थी।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को 15 वर्षों के लिए व्यापारिक एकाधिकार मिला था इस एकाधिकार को समय-समय पर बढ़ाया जाता है और साथ ही में ब्रिटिश सरकार का हस्तक्षेप बढ़ता रहा है।
- कंपनी के संचालन के लिए प्रबंधकीय समिति थी जिसमें एक निदेशक और एक उपनिदेशक तथा 24 सदस्य होते थे, इन सबका चुनाव व्यापारियों की आम सभा के द्वारा किया जाता था।
- 1611 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने दक्षिण भारत के मसूलीपट्टनम में अपनी पहली फ़ैक्ट्री स्थापित की।
- सूरत में 1613 में ईस्ट इंडिया कंपनी (स्थाई) कि स्थापना हुई।
- 1633 में कंपनी ने पूर्वी भारत में हरिहरपुर, बालासोर में अपनी पहली फ़ैक्ट्री स्थापित की।
- 1639 में कंपनी ने स्थानीय राजा से लीज़ पर मद्रास हासिल किया।
- 1651 में कंपनी को हुगली (बंगाल) व्यापार करने की अनुमति दी गई।
- 1662 में ब्रिटिश सम्राट चार्ल्स द्वितीय को पुर्तगाली राज कुमारी कैथरीन से विवाह करने के बदले दहेज में बॉम्बे का क्षेत्र दिया गया।
- 1717 में मुग़ल सम्राट फर्रूखशियर द्वारा जारी फ़रमान जिसे कंपनी का मैग्नाकार्टा भी कहा गया, जिसके द्वारा कंपनी को भारी मात्रा में व्यापार संबंधी छूट प्रदान की गई।
डेनिश (Danish)
डेनिश (Danish) से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित हैं:-
- डेनिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1616 इसवी में हुई।
- इसने 1620 में तमिलनाडु के त्रैंकोबर में पूर्वी तट पर एक कारख़ाना स्थापित किया था।
- डेनिश अपनी व्यापारिक गतिविधियों से अधिक मिशनरी गतिविधियों के लिए जाने जाते थे।
- डेनिश ने कलकत्ता के नज़दीक सेरामपुर में 1775 में मुख्य व्यापारिक बस्ती की स्थापना की और यही इनका मुख्य केंद्र था।
- 1854 ईसवी में अपनी वाणिज्यिक अवस्थापनाएँ ब्रिटिश सरकार को बेच दिये।
फ़्रेंच (French)
फ़्रेंच (French) से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित हैं:-
- लुई 14वें के समय 1664 ईसवी मे फ़्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना की गई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य वाणिज्यवादी नीतियों के तहत एशियाई व्यापार का फ़ायदा उठाकर आर्थिक दृष्टि से फ़्रांस को एक समृद्ध राष्ट्र बनाना था।
- इसे सरकारी कंपनी भी कहा जाता था क्योंकि कंपनी का निर्माण फ़्रान्स की सरकार द्वारा किया गया था और सारा ख़र्च सरकार ही वहन करती थी।
- सर्व प्रथम फ्रांसीसियों की प्रथम कोठी की स्थापना 1668 में की गई और दूसरी कोठी कि स्थापना गोलकुंडा में मार्टिन द्वारा 1673 में की गई थी।
- 1742 ईस्वी के पश्चात व्यापारिक लाभ कमाने के साथ-साथ फ्रांसीसियों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी जागृत हो गयी, जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेजो और फ्रांसीसियों के बीच युद्ध छिड़ गया, जिन्हें कर्नाटक युद्ध के नाम से जाना जाता है।
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